जीवन के हर मोड़ पर होगा तुम्हारा साथ
मैं डगमगाऊं तो संभलने को होगा तुम्हारा हाथ
राह में मिलते रहेंगे कई सारे पत्थर
झेल जाऊँगा सबको ख़ुशी से, तुम्हारे साथ
ऐ मेरे दोस्त, इतना खुशनसीब हूँ मैं
तुम्हे पाकर, जैसे जन्नत का मिल गया साथ
बस डरता हूँ हर पल, एक अनजाने से ख्वाब से
कुछ पल को भी कहीं छिन जाए ना तुम्हारा साथ
तुम्हारे बिना इस जीवन का कोई मोल नहीं
माटी का यह तन भी है अनमोल तुम्हारे साथ|
यादों के सुन्दर उपवन में जो कुछ फूल खिले हैं
उन्हें क्षण भर को भी कभी मुरझाने नहीं दूंगा
एक उद्दाग्र ग्रसित रोगी सा जो काँटे उगाये हैं
एक बदनसीब राही बनकर, उन्हें तुम्हे चुभोने नहीं दूंगा
तुम्हारी दोस्ती की जो अहेमियत है मेरे लिए
एक नासूर बन कर तुम्हे तड़पने नहीं दूंगा
ऐ मेरे दोस्त, जितना खुशनसीब हूँ मैं तुम्हे पाकर
तुम्हारी मुस्कराहट को आँसू में कभी बदलने नहीं दूंगा|
बस डरता हूँ हर पल, एक अनजाने से ख्वाब से
कुछ पल को भी कहीं छिन जाए ना तुम्हारा साथ
तुम्हारे बिना इस जीवन का कोई मोल नहीं
माटी का यह तन भी तो है अनमोल तुम्हारे साथ
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